Thursday 9 September 2010

बिजली की महिमा

जब-जब बिजली का वोल्टेज डाउन होता है
अंदेशा होने लगता है दिल धक-धक होता है

अंधेरों से इंसा ने समझौता न किया अब तक
बिजली की वेवफाई से बड़ा बुरा हाल होता है

असली झटका लगता है जब ये नहीं होती है
फिर इसके लौटने का सबको इंतज़ार होता है

बिखरी होती है आसमां पे रोशनी सितारों की
जमीं पे बिन बिजली के कष्ट बहुत होता है

रुतबा है इसका और जुल्म भी कर जाती है
अक्सर ही बिन इसके अँधेरों से साथ होता है

मजबूर कर दिया है इसने इतना पब्लिक को
कि अब रो-रोकर काम मोमबत्ती से होता है

बे-इन्तहां कर दी बिजली वालों ने अब इतनी
लोग कब सोयें या जागें उन्हें ना पता होता है

आदत पड़ी हुई है इसकी सभी को इतनी बुरी
कोई माडर्न टेकनोलोजी का काम नहीं होता है

कहती रहती है अलविदा अब अक्सर बेरहम
इंटरनेट कब होगा या नहीं ना ये पता होता है.

2 comments:

  1. शन्नो जी,
    नमस्कार.
    मैं भी विद्युत विभाग में कार्यरत हूँ.
    आपने रचना में जो सटीक और कष्ट दायक बात अपने निराले अंदाज़ में कही है है , एक दम सही है.
    सार्थक रचना के लिए बधाई.
    - विजय
    http://www.hindisahityasangam.blogspot.com/

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  2. शन्नो जी आप बहुत कमाल का लिखती है .. अब देखिये ना बिजली पर भी इतनी सुन्दर कविता /ग़ज़ल... वाह ..बहुत खूब

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