Tuesday 7 September 2010

चाँद तुम चाँदनी मैं तेरी

जमीं आसमा का फरक है तो क्या
तुम धड़कनों में आकर बसे हो मेरी
चाँद तुम हो मेरे चाँदनी मैं तेरी.

आसमा पे हो तुम मैं हूँ कदमो तले
मैं भटकती यहाँ तू वहाँ पे जले
महफ़िलें सजी है तारों की वहाँ
हैरान सा है हर नजारा जहाँ
तन्हाइयों का दामन है फैला हुआ
साज तुम हो मैं रागिनी हूँ तेरी

जमीं आसमा का फरक है तो क्या
तुम धड़कनों में आकर बसे हो मेरी
चाँद तुम हो मेरे चाँदनी मैं तेरी.

अजनबी रास्तों पे कदम के निशां
मंजिलों की तरफ बढ़ रहे परेशां
अकेले ना तुम जा सकोगे कहीं
रात की शबनमी पलकों पे गिरा
दामन सा मैं तुमने पकड़ा सिरा
तुम मेरे हमकदम मैं हूँ साया तेरी

जमीं आसमा का फरक है तो क्या
तुम धड़कनों में आकर बसे हो मेरी
चाँद तुम हो मेरे चाँदनी मैं तेरी.

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