जिस देश की आन-बान, शान पर बनी हुई
उस देश के नेता व सरकार को धिक्कार है
चैन ढूँढा हर जगह पर मिल गईं मुसीबतें
खुशी के पल गिने-चुने हैं दुख यहाँ हजार हैं
किसी के पास लाश दफ़नाने को पैसे नहीं
तो सज रहीं कहीं कुछ अमीरों की मजार हैं
मन का दरवाज़ा भी और मंदिर भी एक है
पर उस मंदिर में रहने वाले देवता हज़ार हैं
अस्पताल सब लग रहे बाजार जैसे हों भरे
कहीं डाक्टर तो एक है पर बीमार बेशुमार हैं
लम्बी है कतार लगी और लम्बा इंतज़ार है
नल तो बस एक वहाँ और लोग बेक़रार हैं
महलों में जो रहते माँगें जन्नत की मन्नतें
दो जून रोटी खाकर कुछ लोग खुशगवार हैं
लोग डिग्री को साथ लेकर एड़ियाँ रगड़ रहे
नौकरी है एक मगर वहाँ कई उम्मीदवार हैं
अमीरों के जश्न में कुछ कुत्ते आकर खा गये
पर बाहर खड़े भिखारियों को लगती दुत्कार हैं.
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