ओ, मुरली वाले सब भक्तों के रखवाले
अब सुख-दुख हमारा सब तेरे ही हवाले.
यशोदा के लाल और बृज के नंदलाला
छिपे कहाँ पे तुम कान्हा सांवले सलोने
दिनभर घूमते सभी गोपियों को छेड़ते
माखन चुराके खाओ फिर लगते हो रोने
मैया मरोड़े कान जब जिद तुम करते
रूठ जाते और फिर रोकर भी सताते हो
तुम हो बड़े नटखट भाग जाते झट-पट
हठ करते और फिर भोले बन जाते हो
बंशी को बजाकर तुम सबको लुभाते हो
सबके ही मन में तुम बसे हो नंदलाला
बड़े चितचोर हो तुम देखो उन्हें छुपकर
गायों को चराने जायें झूमें सभी ग्वाला
जब गोपियों संग नाचो बरखा-फुहार में
उड़-उड़ लिपटे तुमसे राधा की चुनरिया
बृज की बालायें आयें नदिया के तट पर
मतवाली सी सभी तुझे घेरतीं सांवरिया
ओ, मुरली वाले सब भक्तों के रखवाले
अब सुख-दुख हमारा सब तेरे ही हवाले.
आदरणीया शन्नोजी
ReplyDeleteनमस्कार !
कृष्ण भक्ति की बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए आभार और बधाई!
बंशी को बजाकर तुम सबको लुभाते हो
सबके ही मन में तुम बसे हो नंदलाला
बड़े चितचोर हो तुम देखो उन्हें छुपकर
गायों को चराने जायें झूमें सभी ग्वाला
शुभकामनाओं सहित …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
रचना पसंद करने के लिये आपको बहुत धन्यबाद, राजेंद्र जी.
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